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गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दिया इस्तीफा, चुनाव से पहले बीजेपी बदलेगी चेहरा

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नई दिल्ली (एजेंसी)। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने शनिवार को राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्तीफा सौंपा। रूपाणी  ने इस्तीफे के बाद पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि आगे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाएंगे। राज्य में एक चुनाव से ठीक एक साल पहले भारतीय जनता पार्टी यहां चेहरा बदलने जा रही है। नए मुख्यमंत्री के नामों को लेकर अटकलें चल रही हैं।

बताया जा रहा है कि रूपाणी  और पार्टी संगठन में काफी दिनों से मतभेद चल रहा था। बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष सीआर पाटिल से उनकी अनबन चल रही थी। बताया जा रहा है कि पिछले साल ही संगठन ने रूपाणी के खिलाफ पार्टी को रिपोर्ट दी थी। राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि विजय रूपाणी के नेतृत्व में सरकार की पकड़ ढीली पड़ रही थी। कामकाज को लेकर रूपाणी सरकार की छवि कमजोर हो रही थी।

विजय रूपाणी ने इस्तीफे के बाद कहा, ”गुजरात के विकास यात्रा में मुझे जो योगदान का अवसर मिला उसके लिए पीएम मोदी का आभारी हूं। गुजरात के विकास की यह यात्रा नए उत्साह और नए नेतृत्व के साथ आगे बढ़ना चाहिए। बीजेपी की यह परंपरा रही है कि समय के साथ कार्यकर्ताओं के दायित्व बदलते रहते हैं। जो पार्टी की ओर से दायित्व दिया जाता है कार्यकर्ता उसका पालन करता है। अब मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और पार्टी संगठन में काम करने की इच्छा जाहिर की है। जो भी मुझे दायित्व दिया जाएगा वह करूंगा।”

गुजरात में बीजेपी के ‘विजय’ प्लान में अनफिट थे रूपाणी, यह हो सकती है इस्तीफे की वजह

सुबह जब गुजरात के मुख्यमंत्री पीएम के साथ वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे तो किसी को अंदाजा नहीं था कि शाम होते-होते उनकी कुर्सी चली जाएगी। हालांकि विजय रूपाणी हटाए जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। लेकिन अभी उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया इसको लेकर अटकलबाजियों का दौर तेज है। वैसे बताया जा रहा है कि विजय रूपाणी भाजपा के गुजरात विजय के प्लान में फिट नहीं बैठ रहे थे।आइए जानते हैं आखिर कौन सी वजहें रहीं, जिसके चलते विजय रूपाणी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

वजह नंबर 1: बेहतर परफॉर्मेंस का दबाव
पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में बहुत मुश्किल से जीत हासिल की थी। इसके बाद किसी तरह चार साल तक मामला चला, लेकिन जबकि चुनाव को एक साल बचा है, पार्टी यहां कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। सीआर पाटिल के अध्यक्ष बनने के बाद रूपाणी के लिए मुश्किलें और बढ़ गई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमित शाह के करीबी होने के नाते रूपाणी की कुर्सी अभी तक बची हुई थी। लेकिन सीआर पाटिल ने अब पार्टी से स्पष्ट कर दिया था कि अगर अगले साल चुनाव में बड़ी जीत हासिल करनी है तो फिर नेतृत्व परिवर्तन करना होगा।

वजह नंबर 2: जातीय समीकरण में अनफिट
विजय रूपाणी को फेस बनाकर पार्टी अगले चुनाव में नहीं उतरना चाहती थी। इसके पीछे एक बड़ी वजह थी गुजरात का जातीय समीकरण। रूपाणी कास्ट न्यूट्रल थे और उनके रहते पार्टी के लिए जातीय समीकरण साध पाना मुश्किल हो रहा था। गुजरात के जातीय समीकरण को साधने के लिए ही कुछ समय पहले केंद्र के मंत्रिमंडल विस्तार में मनसुख मंडाविया को जगह दी गई थी। 

वजह नंबर 3: सीआर पाटिल से मनमुटाव
विजय रूपाणी के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटने की सबसे बड़ी वजह प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल से मनमुटाव रही। पाटिल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही दोनों के बीच बन नहीं रही थी। असल में पाटिल ने पार्टी नेतृत्व के सामने इरादा जाहिर किया है कि वह प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करना चाहते हैं। उनके इस प्लान में विजय रूपाणी फिट नहीं बैठ रहे थे। ऐसे में उन्हें रास्ता खाली करना पड़ा। 

वजह नंबर 4: पीएम की नाराजगी
रूपाणी के लिए कोरोना की दूसरी लहर भारी मुसीबत बनकर आई। इस दौरान गुजरात में मिसमैनेजमेंट की कई खबरें बाहर आईं। सूत्रों का दावा है कि इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुश नहीं थी। अपने गृह प्रदेश में इस तरह की लापरवाही होती देख, पीएम मोदी काफी ज्यादा परेशान थे। यही वजह रही कि उन्होंने भी गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई सवाल नहीं उठाया।

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