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भारत में कोरोना का बूस्टर डोज लगवाना क्या जरूरी… इस मुद्दे पर पढ़ें एक्सपर्ट्स के जवाब

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मास्क से भी कोरोना संक्रमण को कम किया जा सकता है पर पूरी दुनिया में मास्क लगाने वालों की तादाद 58 प्रतिशत ही है

नई दिल्ली (एजेंसी)। कोविड-19 के खतरे के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों ने कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को बूस्टर डोज लगाने की सिफारिश की है। जिसको लेकर दिल्ली के अलग-अलग अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि देश में मौजूदा समय में अभी बूस्टर डोज की आवश्यकता नहीं है। अभी पहली प्राथमिकता जरूरतमंद लोगों का टीकाकरण है।

सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि अभी देश में बूस्टर डोज की आवश्यकता नहीं है। बूस्टर डोज केवल उन्हीं लोगों को प्रस्तावित की जाती है, जिनकी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। जिसमें खासतौर पर एड्स, अंग प्रत्यारोपण वाले मरीज और कैंसर जैसी दूसरी बीमारी के मरीज शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि अभी वर्तमान में रूस में और अमेरिका के कई राज्यों में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को जरूर बूस्टर डोज लगाई जा रही है। जिसमें ज्यादातर उम्रदराज मरीज शामिल हैं। बूस्टर डोज लगाने से पहले ऐसे मरीज की प्रतिरोधक क्षमता की जांच होती है, उसके बाद जरूरत पड़ने पर डोज लगाई जाती है। जिसके काफी मानक होते हैं। जो लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है। वहीं, वैक्सीन से भी शरीर को काफी सुरक्षा मिलती है।

नया स्वरूप आने पर ही पड़ सकती है जरूरत : डॉ. गर्ग


मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर और लैंसेट कमीशन कोविड इंडिया टास्क फोर्स की सदस्य डॉ. सुनीला गर्ग ने बताया कि पहली प्राथमिकता जरूरतमंद लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित करना है। जब सब का टीकाकरण हो जाएगा तो बूस्टर के बारे में विचार किया जा सकता है। लेकिन, उसमें भी अगर संक्रमण का कोई नया स्वरूप सामने आता है तभी बूस्टर डोज लगाने की जरूरत पड़ेगी।

सबसे कम संक्रमण वाले देश सबसे ज्यादा लोग मास्क लगा रहे


मास्क लगाने को लेकर दुनियाभर में विवाद की स्थिति देखने को मिलती रही है। भारत में दूसरी लहर मंद पड़ने के साथ ही मास्क के प्रति लोग लापरवाह हो गए हैं। मगर, दुनिया में ताइवान, हांगकांग, मालद्वीव जैसे पांच ऐसे देश हैं, जहां संक्रमण बेहद कम होने पर भी 80 से 94 फीसदी तक आबादी मास्क लगा रही है। यह आकलन कोविड19 डॉट हेल्थडाटा का है। इसका कहना है कि अगर हर देश में 95 फीसदी आबादी मास्क लगाए तो संक्रमण पर काबू किया जा सकेगा। गौरतलब है कि मास्क लगाने से संक्रमण का जोखिम 30 प्रतिशत कम होता है।

ताइवान : यहां की 94% जनता मास्क लगा रही है, जबकि यहां रोजाना 10 से कम नए मरीज मिल रहे हैं और अधिकतम एक मौत हो रही है।
जापान : ओलंपिक के बाद यहां तीसरी लहर आई, जो अब मंद पड़ चुकी है, फिर भी 93% लोग मास्क लगा रहे हैं। हर दिन 30 मौतें हो रहीं।
हांगकांग : यहां के 84% लोग मास्क लगा रहे हैं, जबकि हर दिन औसतन 5 नए केस ही मिल रहे हैं। 13 सितंबर के बाद से मौत नहीं हुई है।
मालदीव : यहां 70% आबादी मास्क पहन रही, जबकि हर दिन औसतन 75 मामले आ रहे हैं और एक भी मौत नहीं हो रही।
नामीबिया : यहां 74% लोग मास्क लगा रहे, जबकि हर दिन 30 नए मरीज ही मिल रहे हैं और अधिकतम पांच मरीजों की रोजाना मौत हो रही हैं।

सबसे ज्यादा पीड़ित देश में सबसे कम मास्क का इस्तेमाल


कोविड-19 डॉट हेल्थडाटा के मुताबिक, अमेरिका में केवल 49 प्रतिशत आबादी ही मास्क लगा रही है, जबकि यह देश कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित है। वहीं, भारत और ब्रिटेन में 65 प्रतिशत लोग मास्क लगा रहे हैं। चीन में जहां संक्रमण बेहद कम है, वहां 59 प्रतिशत लोग मास्क लगा रहे हैं। पूरी दुनिया में मास्क लगाने वालों की तादाद 58 प्रतिशत है।

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