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100 करोड़ वैक्सीनेशन के जश्न के बाद वैज्ञानिकों ने चेताया…बड़ी लहर आने की उम्मीद कम पर महामारी अभी खत्म नहीं

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नई दिल्ली (ए)। कई वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को कहा है कि इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि भारत में अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर जैसी कोई अन्य खतरनाक लहर आएगी। हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के आकंड़े जरुर घटे हैं लेकिन जरुरी नहीं है कि इसका मतलब यही है कि महामारी खत्म हो गई। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दीपावली समेत अभी अन्य पर्व आ रहे हैं। कोरोना का ग्राफ गिरना सिर्फ इस बड़े पिक्चर का एक हिस्सा है। अभी जरुरत है बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन ड्राइव चलाते रहने की है। वैज्ञानिकों ने यूके का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कोरोना के अलग वैरिएंट ने फिर से दहशत पैदा की है। 

भारत में 100 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिया जा चुका है। विषाणु विज्ञानी शाहीद जमील ने कहा, ‘वैक्सीनेशन की दर में काफी सुधार हुआ है। लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। लेकिन मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हूं कि अभी हम महामारी के खत्म होने के स्टेज में पहुंच चुके हैं। हमने 100 करोड़ वैक्सीनेशन को सेलिब्रेट किया लेकिन अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’ हरियाणा स्थित अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जमील ने पीटीआई को भेजे गए एक ईमेल में यह बात कही है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पिछले 3 महीने के दौरान कोरोना के केस धीरे-धीरे घटे है। पहले 40,000 केस प्रतिदिन आते थे और अब यह आकंड़ा 15,000 के आसपास पहुंच गया है। विषाणु विज्ञानी ने बताया कि एनडेमिक स्टेज अभी नहीं आया। उन्होंने कहा कि किसी बीमारी के  एनडेमिक स्टेज का मतलब यह है कि जब यह एक निश्चित भू-भाग में मौजूद हो लेकिन इसका असर बिलकुल न के बराबर हो। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुक्रवार के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 के 15,786 नये मामले सामने आने के साथ लगातार 28 वें दिन मामलों में 30,000 से कम की प्रतिदिन की वृद्धि हुई। वहीं, 231 और मौतों के साथ कुल मृतक संख्या बढ़ कर 4,53,042 पहुंच गई। देश के सर्वश्रेष्ठ विषाणु विज्ञानियों में शामिल जमील ने कहा कि देश में मृत्यु दर करीब 1.2 प्रतिशत पर बनी हुई है। उन्होंने कहा, ”इससे पता चलता है कि भारत में टीका कवरेज को और बढ़ाने की जरूरत है।”

ब्रिटेन की मिडलसेक्स यूनिवर्सिटी में गणित के वरिष्ठ लेक्चरर मुराद बानजी ने कहा, ”इस बारे में हाल में कुछ भ्रमित करने वाले दावे किये गये…कुछ समय तक मामले कम रहने का मतलब स्थानिकता से नहीं है। यह संभव है कि देश के कुछ हिस्सों में स्थानिकता करीब है लेकिन इसकी पुष्टि करने के लिए आंकड़े आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ”उदाहरण के तौर पर हम नहीं जानते हैं कि अभी कितनी संख्या में ऐसे लोगों को संक्रमण हो रहा है जो टीका लगवाने से पहले भी संक्रमित हो चुके हैं।”  महामारी विशेषज्ञ रामनन लक्ष्मीनारायण ने कहा, ”मेरा मानना है कि देश के समक्ष भविष्य में कोविड-19 का बड़ा खतरा आने का निर्धारण करने से पहले हमे दो महीने इंतजार करना चाहिए। ” 

बानजी ने कहा, ”चिंता करने वाली यह बात है कि देश के कुछ हिस्सों में निगरानी इतनी खराब है कि यदि संक्रमण के मामले नये सिरे से बढ़ते हैं तो हम इसे आधिकारिक आंकड़ों में नहीं देख सकेंगे।”वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि पारदर्शिता को प्रोत्साहित किया जाए और बेहतर निगरानी की जाए। साथ ही, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को बेहतर निगरानी के उदाहरण के तौर पर पेश करें ना कि उनकी अधिक (मामलों की) संख्या को लेकर उनकी आलोचना करें। 

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