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चार दशक की सफल सेवा पूर्ण कर उच्च शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुये प्राचार्य महेश शर्मा

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उनके कार्यकाल में “नेकी की दीवार” और “जॉब प्लेसमेंट सेल” खूब लोकप्रिय हुये

शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में भी सम्मानित रहे आचार्य डा.शर्मा

भिलाई। चार दशक की सफल सेवा पूर्ण कर वरिष्ठ साहित्यकार व संस्कृत के मर्मज्ञ डा. महेश शर्मा छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। लगभग चार दशक से भी अधिक समय पूर्व अविभाजित मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में आचार्य महेशचन्द्र शर्मा ने तदर्थ सहायक प्राध्यापक संस्कृत के रूप में 13 दिसंबर 1979 को सेवायें शुरू कीं। सुदीर्घ सेवा के बाद आचार्य शर्मा 31 जुलाई 2021 को सेवानिवृत्त हुये।


शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय तत्कालीन शा.कला एवं विज्ञान महाविद्यालय दुर्ग में संस्कृत प्राध्यापक डा.शर्मा ने 25 वर्ष सेवायें दीं। रजत जयंती सेवा सम्मानित भी वे किए गये। प्रोफेसर से प्रिंसिपल पद पर पदोन्नत भी वे इसी कालेज से हुये। क्रमशः वैशालीनगर, खुर्शीपार ,उतई एवं मचान्दुर स्थित शासकीय महाविद्यालयों के कुशल एवं सफल प्राचार्य रहे।
प्राचार्य डा.शर्मा हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कार्यपरिषद् के सदस्य भी थे। अन्ततः वीरांगना रानी अवन्ती बाई लोधी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय रामाटोला जिला राजनांदगांव से हाल ही में सेवानिवृत्त हुये। एक सादगीपूर्ण किन्तु गरिमामय एवं भावुकता भरे समारोह में डा.शर्मा को ससम्मान बिदाई दी गयी।साथ ही सेवानिवृत्त चतुर्थवर्ग कर्मचारी मुरलीधर साहू को भी ससम्मान बिदाई दी गयी। वरिष्ठ प्राध्यापक डा.ए.के.सिन्हा ने प्राचार्य डा.शर्मा का परिचय दिया। उनकी 10 पुस्तकें प्रकाशित हैं। बड़ी संख्या में लेख,आलेख और शोधालेख राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर ससम्मान प्रकाशित हैं। भारत के बाहर भी एशिया, आस्ट्रेलिया एवं यूरोप के अनेक नगरों के सफल सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक भ्रमण किये हैं। प्रशासनिक सेवा के लिये चुने जानेपर भी उन्होंने उच्चशिक्षा को ही चुना। वे जिस-जिस कालेज में रहे विद्यार्थियों ने मेरिट, खेल ,एन. सी. सी. ,एन.एस.एस. ,सांस्कृतिक और साहित्यिक हर क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किये।
‘नेकी की दीवार’ और ‘जॉब प्लेसमेंट सेल’ खूब लोकप्रिय हुये। प्राचार्य रहते हुये भी उन्होंने कक्षायें लीं। इन्हीं गतिविधियों के कारण उनकी पदस्थापना वाले महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन में अच्छी ग्रेड्स मिलीं। डा.शर्मा की उल्लेखनीय सेवाओं के कारण उन्हें ज्ञानज्योति अलंकरण , सृजन शिक्षक सम्मान , राष्ट्रभाषा अलंकरण , अक्षरचेतना सम्मान , अस्मिता शंखनाद सम्मान एवं आउट स्टेण्डिंग प्रिंसिपल अवार्ड आदि से नवाजा गया। उच्च शिक्षा विभाग छ.ग. शासन ने भी डॉ शर्मा को संस्कृत शिक्षा के लिये सम्मानित किया। वे प्रतिवर्ष 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह में भी विशेष रूपसे आमंत्रित किये जाते हैं। वर्तमान कालेज में डॉ शर्मा ने पठन-पाठन के साथ-साथ कोरोना से बचानेवाले मास्क, सेनेटाइजर और हैण्डवाश आदि का वर्षभर निःशुल्क वितरण महाविद्यालय परिवार में किया। बिदाई के समय वातावरण काफी भावुक हो गया। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित श्रीमती गौरी शर्मा ने भी उक्त सामग्री महाविद्यालय परिवार में वितरित की। सबने उनको जन्मदिन की बधाइयाँ दीं। प्राचार्य डा.शर्मा को शाल, श्रीफल एवं स्मृतिचिह्न भेंट देकर बिदाई दीगयी। प्राचार्य ने कालेज संचालन में सहयोग हेतु सबको धन्यवाद दिया। तीन पीपल पौधे भी कालेज हेतु उन्होंने सौंपे। प्रो.श्रीमती रंजना राम ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। इस मौके पर प्रो. टी. ठाकुर एवं डा.मनोज रंगारी ने भी अच्छे विचार रखे। शशिचन्द्र लिखार , कुलेश मण्डावी , मंगल दास और जितेन्द्र वर्मा समेत महाविद्यालय परिवार उपस्थित था।



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