स्वरुपानंद महाविद्यालय में सीएमबीआर के संयुक्त तत्वावधान में अतिथि व्याख्यान सम्पन्न
लाईफ साईंस की तकनीकों के ज्ञान से ही भारत को कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में सफलता मिली : डॉ. भारती
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको और आणविक जीवविज्ञान अनुसंधान केंद्र (सीएमबीआर) भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में माईक्रोबॉयोलॉजी विभाग द्वारा ‘आज के परिप्रेक्ष्य में लाईफ साईंस मॉलिक्युलर तकनीकों के आधुनिकीकरण’ विषय पर अतिथि व्याख्यान का वर्चुअल आयोजन किया गया।
डॉ. दीपक भारती निर्देशक आणविक जीवविज्ञान अनुसंधान केंद्र भोपाल अतिथि व्याख्याता के रूप में उपस्थित थे जिन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि आज भारत ने लाईफ साईंस की तकनीकों के ज्ञान से ही कोविड-19 का वैक्सीन बनाने में सफलता प्राप्त की है। आज हर विज्ञान के विद्यार्थी को जीन के बारे में जानकारी है कि जीन अनुवांशिकी की इकाई है। डॉ भारती ने डीएनए की आधारभूत संरचना तथा सूक्ष्म आरएनए के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया और नॉन कोडिंग आरएनए जो प्रोटीन कोड नहीं करते उनकी विस्तृत जानकारी देते हुये आरटीपीसीआर और ब्लॉटिंग तकनीक को समझाया। उन्होंने एलाईसा, वेर्स्टन ब्लॉटिंग, साइक्लोमेटरिक तकनीक के संबंध में छात्रों को जानकारी देते हुए बताया कि प्रोटीन सेपरेशन के लिये इन्हें उपयोग किया जाता है। डॉ दीपक ने एसएनपी सिंगल न्युकलियोटाइड पॉली मारफिसम एक जेनेटिक रोगो के बारे में भी बताया, यह जीन पुरुषों में गंजेपन के लिये उत्तरदायी होता है। एसएनपी कैंसर के लिये भी उत्तरदायी होते है। विभिन्न जेनेटिक कोड के संबंध में भी बताया जो की विभिन्न ऑंख के रंगों एवं बीमारियों के जनक होते है। रीयल टाईम पीसीआर तकनीक पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने पहले डी.एन.ए. आइसोलेशन प्रोटोकॉल समझाया और थर्मोसाइकिलर उपकरण के बारे में बताया जिससे डीएनए सेगमेंट की एकाचिक प्रतिरुप तैयार किये जाते हैं । उन्होंने प्राइमर, न्युक्लियोटाइडस एवं राइलो न्युक्लियेज की मदद से पॉलिमरेज चेन प्रतिक्रिया को बताया एवं उसके उपयोग डी.एन.ए. अंगुली छापन तकनीक जिसकी उपयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियॉं सुलझाने के लिए किया जाता है की भी जानकारी दी । माईक्रो सेटेलाइट -डीएनए के छोटे टुकडे जिनकी संख्या शरीरो के हिस्सों में अलग-अलग होती है उनके उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इसके पश्चात छात्रों को वर्चुवल सीएमबीआर की प्रयोगशाला भी दिखायी गयी जिसमें विभिन्न उपकरणों जैसे – जीएलसी, आरटीपीसीआर, (पीसीआर) से जीन की प्रतिलिपी लाखो की संख्या में बनाना। , जैल डोक सिस्टम, कूलिंग सेंट्रीफ्यूज आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
फीडबैक सेशन में विद्यार्थी समीक्षा मिश्रा ने पीसीआर तकनीक के उपयोग के बारे में पूछा, जिस पर डॉ. भारती ने जानकारी देते हुए बताया की इसका उपयोग सूक्ष्म जीव विज्ञान को पहचानने में, प्लांट टिश्यू कल्चर में, विभिन्न बीमारियों की जानकारी के लिये किया जाता है। छात्रों ने भी डॉ. भारती के प्रश्नों के उत्तर दिये जो इस व्याख्यान की उपोगिता को दर्शाता है।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने बताया कि कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य छात्रों को आज की उन्नत तकनीको के बारे में जानकारी प्रदान करना था जिसमें छात्रों में डीएनए, आरएनए में हुई विकृती को मापने की विधी जानी और इसके उपयोगिता से अवगत हुए। महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने विशेष रूप से छात्रों को मॉलिक्युलर तकनीकों की जानकारी के लिये किये गये इस आयोजन से लाभ लेने हेतु प्रेरित किया जिससे वे अपना भविष्य इस दिशा में बना सकें।
कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा. डॉ सुपर्णा श्रीवास्तव एवं सुश्री राखी अरोरा का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम के अंत में संयोजिका डॉ. शमा ए. बेग विभागाध्यक्ष (माइक्रोबॉयोलॉजी) ने धन्यवाद ज्ञापन किया।