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​​​​​​​राष्ट्रीय शिक्षा समागम में अन्य राज्यों के शिक्षाविदों ने शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों को मजबूत करने अपना अनुभव साझा किए

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रायपुर। राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम में देश के विभिन्न राज्यों से आए शिक्षाविदों और अधिकारियों ने अपने-अपने राज्यों में रोजगारमूलक व्यावसायिक शिक्षा और कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षण के अनुभव साझा किए। उन्होंने कोरोना काल में स्कूली बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनाए जा रहे नवाचारों की भी जानकारी दी। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह और एससीईआरटी के संचालक राजेश सिंह राणा भी उपस्थित थे।


राष्ट्रीय शिक्षा समागम के दूसरे एवं अंतिम दिन के द्वितीय सत्र में आज शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों को मजबूत करना विषय पर चर्चा की गई। अपने-अपने राज्यों में प्रारंभिक शिक्षा में बच्चों शिक्षा प्रदान करने के लिए किए जा रहे नवाचारों की जानकारी दी। दूसरे सत्र के कार्यक्रम की अध्यक्षता लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन संस्थापक के निदेशक डॉ. धीर झिंगरन ने की। सर्वप्रथम सुनील मिश्रा अध्यक्ष एससीईआरटी रायपुर ने पूर्व प्राथमिक शिक्षा की जानकारी दी। ‘अंगना म शिक्षा’ जैसे अभ्यास। द्वितीय वक्ता, उत्तरप्रदेश से आयीं राज्य परियोजना विज्ञापन निदेशक सुश्री सना सिद्दीकी ने ईसीसीई पर प्रभावी ढंग से अपनी प्रस्तुति दी, जहां वे न केवल विद्यार्थियो के स्तर का मूल्यांकन करने का प्रयास करते हैं बल्कि ‘ड्रॉपआउट स्तर’ की जांच करने के लिए उन्होंने शिक्षा के 4 मॉडल दिए। इसी कड़ी में अंतिम वक्ता चंडीगढ़ के डॉ. अजीज गुप्ता ने रॉकेट लर्निंग ऑर्गेनाइजेशन वर्गीकृत करते हुए बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी और समुदाय व्यवहार परिवर्तन का नेतृत्व करते हैं। हम माता-पिता और अभिभावकों को सिस्टम में कैसे जोड़ते हैं। उन्होंने पीटीएम और प्रगति अहवाल पात्र के ‘शिक्षा चौपाल’ कार्यक्रम के बारे में भी बताया। कार्यक्रम के अंत में 15 मिनट के प्रश्न-उत्तर सत्र का आयोजन किया गया। इसमें डॉ. धीर झिंगरन ने निष्कर्ष निकाला कि पूर्व प्राथमिक स्तर के छात्र नई चीजें सीखना चाहते हैं, वे भाषा से दूर नहीं हैं, इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है।

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